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भारतीय नारी का आदर्श
भारतीय नारी - आत्म-संयम एवं शालीनता की मूर्ति रही है । स्नेह एवं प्रेम की प्रतिमा होते हुए भी उसने सदा नीति एवं संयम की मर्यादा का पालन किया है । किसी पर हृदय निछावर करके भी उसने अपने धर्म एवं रीति-नीति की रक्षा की है। पति से पीड़ा एवं अपमान के विष घूंट पाकर भी वह क्षमा का अमृत वर्षाती रही है, क्षणिक आवेश में उसने प्रेम के पवित्र बंधन को नहीं तोड़ा। उसने जगत् के अपराधों को क्षमा कर सद्भाव एवं स्नेह की धारा बहायी है— देखिए भारतीय संस्कृति के तीन उज्ज्वल चरित्र ।
१:
हिमराज की पुत्री पार्वती ने शिवजी के लिए कठोर तपस्या की । उसकी तपस्या से प्रसन्न शिवजी पार्वती के निकट आये और स्नेह गद्गद् होकर बोले"आज से मैं तुम्हारा तपःक्रीत दास है ।"
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