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अपनी-अपनी कल्पना :
ऊँचे स्वर में बोल रही थी-'बहनो ! बहुत दिनों से हम सब उपवास करके ईश्वर की आराधना में लगी हैं, आज सब मिल कर ईश्वर की प्रार्थना करो ! ईश्वर बड़ा कृपालु है, पूरी श्रद्धा के साथ की हुई हमारी प्रार्थना वह । जरूर सुनेगा और सचमुच आकाश से चूहों की वर्षा : होंगी।'
उस मुंड के पास में ही एक मोटा ताजा कुत्ता घूम रहा था। बिल्लियों की बात सुनकर उसे हँसी आई और वह आकाश की ओर मुंह करके कहने लगा- 'मूख अन्धी बिल्लियो ! कभी तुम्हारे बाप-दादों ने भी प्रार्थना की थी और चूहों की वर्षा देखी थी? किताबों में लिखा है, जब भी ईश्वर की पूजा होती है और प्रार्थनाएं की जाती हैं तब तब आसमान से चूहों की नहीं, हड्डियों की वर्षा होती है।'
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