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प्रतिध्वनि
सब से गहरा प्रतिबिम्ब पड़ता है । संतान सचमुच माँ की प्रतिकृति होती है । लीजिए इस सम्बन्ध में इतिहास के दो भिन्न-भिन्न पक्षों का निदर्शन !
गुजरात के एक राजा ने अपने राजपंडित को बुलाकर कहा- "हमारा राजकुमार अत्यंत मेधावी है, इसे शिक्षित कर सिद्धराज जैसा योग्य शासक बनाइए।"
राजपंडित ने निवेदन किया-"महाराज ! शिक्षा के द्वारा सिद्धराज जैसा सदाचारी, वीर एवं कुशल शासक बनाया तो जा सकता है, पर तभी जब उसकी माता में भी सिद्धराज की जननी जैसे गुण विद्यमान हो।" राजा के पूछने पर राज पंडित ने बताया-सिद्धराज जब अबोध बालक था, तो पालने में सो रहा था, उसकी माता पालना झुला रही थी, कि सिद्धराज के पिता वनराज चावड़ा सहसा महलों में आगये, और रानी से हँसी-विनोद करने लगे।
रानी ने सलज्ज किंतु कठोर शब्दों में कहा-"आप पर-पुरुष के सामने मेरी लाज गँवाते हैं, यह ठीक नहीं !"
राजा ने चौंक कर पूछा- “यहाँ महलों में पर-पुरुष कौन है ?'
रानी ने पालने में सोये सिद्धराज की ओर संकेत किया। तब उसकी आयु करीब दो माह की होगी। राजा ने इसे रानी का बहाना समझा और उसके साथ और भी हास्य-चेष्टाएं करने लगे। तभी बालक ने सहजभाव से
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