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विलास का विष
नीतिज्ञ विदुर ने कहा है
षडदोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता । निद्रा, तन्द्रा, भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता ।
- महाभारत उद्योग० ३३।७८
ऐश्वर्य चाहने वाले पुरुष को निद्रा, तन्द्रा ( ऊंघना) भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घ सूत्रता - इन छह दुर्ग ुणों को छोड़ना चाहिए ।
वास्तव में ये छह दुर्गा ही मानव जाति के विनाश, पतन एवं दुर्गति के कारण बने हैं ।
इन छहों दुर्गुणों की एक जननी है - विलासिता ! विलास, भोग और आसक्ति में फंसा मनुष्य, अपने हित से लापरवाह हो जाता है, प्रकृति से चिड़चिड़ा, भयभीत एवं आलसी बन जाता है । इतिहास बताता है, विलास का विष जिस राजा और प्रजा के जीवन में घुला, वह
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