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४७ धर्म का गौरव
धर्म आत्मा की दिव्यता है, जाति, वर्ण एवं कूल की सीमाएं उसके तेज को मंद नहीं कर सकती। __ क्या ऐसा होता है कि ब्राह्मण कुल की अग्नि अधिक तेजस्वी हो, और चंडाल कुल की मंद ?
क्या ऐसा होता है कि ब्राह्मण कुल का जल अधिक शीतल हो, और चंडाल कुल का ऊष्ण ?
नहीं ! तो फिर धर्म में कुल-जाति का भेद क्यों और कैसे हो सकता है ?
जो सदाचार और शील का पालन करे, वही धर्म की आराधना कर सकता है।
भिक्ष आनन्द एक बार श्रावस्ती के राजपथ पर भ्रमण कर रहे थे । भयंकर धूप के कारण मारे प्यास के उनको गला सूख रहा था। एक गृहद्वार पर खड़ी तरुणी की ओर देखकर आनन्द ने पानी की याचना की।
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