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अपनी छाया
एक ऋषि ने मनुष्य की अनन्त सुप्त शक्ति को उद्बोधित करते हुए कहा है
विशं विशं मघवा पर्यशायत -ऋग्वेद १०॥४३।६
प्रत्येक मनुष्य के भीतर इन्द्र (अनन्त ऐश्वर्य) सोया पड़ा है। पर मनुष्य है कि वह बाहर ही बाहर ऐश्वर्य की खोज में दौड़ रहा है। __स्वामी रामकृष्ण ने एक जगह लिखा है- "ऋद्धि और संपत्ति छाया की तरह मनुष्य का अनुगमन करती है। जो मनुष्य छाया को पकड़ने की चेष्टा करता है, छाया उससे दूर भागती है, जो अपने को पकड़ लेता है, छाया स्वयं उसके अधिकार में आ जाती है।" ____ आठवीं कक्षा का एक बालक विद्यालय से अपने घर आ रहा था । हाथ में पुस्तकों का बस्ता लिए वह चल रहा था और पीछे काफी लम्बी मचलती हुई छाया उसका
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