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________________ तुम कौन ? एक बार एक सम्राट अपनी राजधानी की गलियों में अकेला घूम रहा था। सांझ का झुरमुटा हो गया था, अंधेरा घिर रहा था। एक संकड़ी-सी गली में सम्राट निकल रहा था कि सामने से एक बूढ़ा संन्यासी लकुटिया टिकाए आ रहा था । गली में दोनों टकराए। सम्राट को जोर का धक्का लग गया तो बौखला कर बोला-"ऐ कौन हो तुम ?" संन्यासी की तेजस्वी आँखों ने सम्राट की गर्वोन्नत काया को पहचान लिया, और लापरवाही से बोला-"एक महान सम्राट !" सम्राट का क्रोध और भी भड़क उठा, साथ में आश्चर्य भी ! यह कोई बूढ़ा सन्यासी अपने आपको-एक महान् सम्राट बता रहा है? सम्राट को उसकी मूर्खता पर हँसी भी आ रही थी। उसने व्यंग के स्वर में पूछा-'किस भूमि पर आपका राज्य है ?' १०८ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003199
Book TitlePratidhwani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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