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दिल बदल !
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संत ने उसका सिर प्यार से उठाया, और- 'बोले मैं तुम्हें अपने वस्त्र हूँ उससे पहले-क्या तुम मेरी एक बात का उत्तर दोगे?'
वह व्यक्ति तो बस एक ही याचना किए जा रहा था 'मुझे अपना पवित्र वाना दे दो, मेरा कल्याण हो जायगा। संत ने फिर उसी प्यार से कहा-'भित्र ! तुम्हारी इच्छा पूरी करूंगा, पर पहले मेरे एक सवाल का उत्तर तो दे दो।'
वह व्यक्ति आशा भरी नजर से ऊपर देखने लगा। संत ने कहा-क्या कोई स्त्री पुरुष के वस्त्र पहन लेने से पुरुष हो सकती है, या कि कोई पुरुष स्त्री के वस्त्र पहन कर स्त्री बन सकता है ? ___'नहीं''" मेरे दरवेश ! पर"" ।
हँसकर अबुहसन बोले-"तो लो ये मेरे वस्त्र और वस्त्र ही क्यों; मेरे शरीर की खाल भी ओढ लो तो क्या होगा?" हसन ने उस व्यक्ति की ओर देखा, वह स्वयं की भूल पर पछता रहा था, हसन ने कहा-'फकीर का वस्त्र पहनलेने से कोई सितमगर फकीर नहीं हो सकता, फकीरी के लिए तो दिल बदलना पड़ता है, कपड़े नहीं..।"
तू पवित्र जीवन जीना चाहता है तो दिल बदल ! कपड़े बदलने से क्या होगा?
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