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अंधा कौन ?
आचार्य शंकर से किसी ने पूछा-अंधा कौन ? ।
आचार्य ने उत्तर दिया-'अंधो हि को यो विषयानुरागी !' जिसकी बुद्धि विषयों से ग्रस्त हो गई है, वही अंधा है !
आज के युग में कोई पूछे कि-अंधा कौन ? तो मैं तो कहंगा ---- 'अंधो हि को यो निजस्वार्थ द्रष्टा' जो केवल अपना स्वार्थ देखता है, वह द्रष्टा होते हुए भी अंधा है, क्यों कि दूसरों को लाभ और हित देखने की दृष्टि उसके पास नहीं है। ___ मुझे एक पुरानी कहानी याद आती है। एक नगर में धनाढ्य सेठ रहता था। उसके एक ही संतान थी-एक पुत्री ! और वह भी बड़ी कुरूप ! कुरूप भी ऐसी कि जिसे देखकर कुरूपता भी शर्म से नीचा सिर झुकाले ! कन्या बड़ी हुई तो पिता को उसके विवाह की चिंता लगी। कन्या के विवाह में उसने अपार धन देने की घोषणा की,
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