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अहिंसा की विजय
आचार्य हेमचन्द्र के प्रबल प्रभाव से गुजरात के तेजस्वी सम्राट् कुमारपाल के अन्तर्मानस में अहिंसा की निर्मल गंगा प्रवाहित होने लगी। जिस समय अंग, बंग कलिंग आदि के ब्राह्मण भी माँसाहार करते थे उस समय सौराष्ट्र के शूद्र कहलाने वाले व्यक्ति भी माँसाहार से नफरत करते थे। ___ एक दिन गुर्जरेश्वर के कुटुम्ब में एक समस्या उपस्थित हुई । कुमारपाल की कुलदेवी कंटकेश्वरी के चरणों में पहले नवरात्रि के समय सप्तमी, अष्टमी और नवमी को सैकड़ों पशुओं की बलि चढ़ाई जाती थी। माताजी के वार्षिकोत्सव के दिन ज्यों-ज्यों सन्निकट आ रहे थे त्योंत्यों क्षत्रियों के दिल मुरझा रहे थे चौलुक्य क्षत्रिय माता की कृपा से जितने निर्भय थे, उतने ही उसके कोप से काँप रहे थे। उनकी दृढ़ धारणा थी कि माताजी यदि कुपित हो गई तो चौलुक्य वंश का एक दिन में नाश हो जायेगा। सभी के हृदयाकाश में भय की घटाएं उमड़
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