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बोलते चित्र स्वीकृति दी। वह चार कदम आगे आया, उसने शरीर को व्यवस्थित किया, धनुष्य को झुकाकर लाक्षणिक रीति से तीर को छोड़ा, तीर लक्ष्य को वींधकर अदृश्य हो गया।
तीर की खोज करने के लिए भीमदेव ने एक सैनिक को पैदल भेजना चाहा। तब युवक ने कहा राजन् ! तीर की तलाश के लिए आप किसी घुड़सवार को भेजिए । पैदल जाने वाला व्यक्ति सायंकाल तक भी लौटकर आ नहीं सकेगा।
घुड़सवार को भेजा गया। वह तीर को लाया और बोला यह तीर यहाँ से छह मील दूरी पर मिला।
आश्चर्य-चकित राजा ने युवक का नाम तथा परिचय पूछा।
युवक ने कहा-लोग मुझे विमल कहकर पुकारते हैं । वर्ण की दृष्टि से मैं वैश्य हूँ और धर्म की दृष्टि से जैन हूँ ।
कुछ दिनों के पश्चात् पाटण की प्रजा ने सुना विमल महामंत्री बना है। उसकी वीरता, धीरता, और गंभीरता देखकर जनता चकित थी।
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