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प्रेम से परिवर्तन
उसी तरह उनसे पेश आती। छह महीने पूर्ण हुए।
एक दिन मुहम्मद प्रतिदिन के मार्ग से उपदेश देने जा रहे थे । उनकी आँखों से प्रेम की वर्षा हो रही थी। वे उस बहिन के मकान के पास पहुंचे पर आज न तो धूल की वर्षा हई, न पत्थर, न काँटे आदि ही आए । मुहम्मद ने इधर-उधर देखा पर वह बहिन दिखलाई नहीं दी। उनके कदम आगे बढ़ने के बजाय वहीं रुक गये। उन्होंने उस मकान में रहने वाले अन्य व्यक्तियों से पूछा-वह बहिन कहाँ है, जो मुझे प्रतिदिन पुरस्कार प्रदान करती है ? । उसने बताया-आज उस बहिन को ज्वर आ गया है, उसे घबराहट हो रही है। मुहम्मद सीधे ही सीढ़ियाँ चढ़कर उस बहिन के पास पहुँचे । साथ वाले शिष्यों ने इन्कारी की-आप ऊपर न जाइए, वह आप पर मिथ्या आरोप लगाएगी। ___ मुहम्मद ने शिष्यों को कहा-मेरी बहिन बीमार हो और मैं जाकर उसकी सार संभाल न लूं, यह कहाँ तक उचित है ? ____ मुहम्मद ने उस बहिन के कमरे में प्रवेश किया। उसके तप्त शिर पर हाथ रखकर कहा-मेरी प्यारी बहिन ! तुम्हारा स्वास्थ्य कैसा है ? तुम्हारी वेदना को जानकर मेरा मन दुःखी हो रहा है । बताओ ! मैं तुम्हारी क्या सेवा कर सकता हूँ?
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