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________________ ५६ बोलते चित्र सेलेनिन को समझाया कि अपने लिए नहीं, किन्तु देशवासियों के लिए आपको बहुमूल्य औषधियाँ लेनी चाहिए। आपका जीवन सभी का जीवन है । लेनिन की पत्नी क्रप्सकाया थी । उसने भी कहानाथ ! आपको कम से कम मेरे लिए औषधियाँ लेनी चाहिए । लेनिन का एक ही उत्तर था- मेरा कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है । मैं अपने देश के दीन दुःखियों में समा गया हूँ। जो सुविधाएँ उन्हें समुपलब्ध नहीं उन्हें मैं लूं, क्या यह देश द्रोह नहीं है ? लेनिन की अस्वस्थता प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी । उसे देखकर सभी चिन्तित थे । क्रप्सकाया अच्छी तरह जानती थी कि लेनिन अपने निश्चय से कभी विचलित होने वाले नहीं है । कोई भी प्रलोभन उन्हें डिगा नहीं सकता । उसने गुप्त रूप से डाक्टरों से बहुमूल्य औषधियाँ ली और उन्हें मिलाकर उसने स्पेशल बिस्कुट बनाए । वह बिस्कुट चाय के साथ लेनिन को देने लगी । बिस्कुटों के साथ बहुमूल्य औषधियाँ ज्यों ही लेनिन के शरीर में गईं, उन्होंने अपना अद्भुत चमत्कार दिखाना प्रारम्भ किया । लेनिन का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन सुधरने लगा । कुछ ही दिनों में वे पूर्ण स्वस्थ हो गये । दो वर्ष का दीर्घकाल बीत गया । एक दिन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003198
Book TitleBolte Chitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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