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राष्ट्र का गौरव
रशिया के उद्धारक, लेनिन का नाम किसने नहीं सुना ? वे गरीबों के तारणहार थे, दीनों के सहायक थे, अनाथों के नाथ थे, राष्ट्र के सच्चे संरक्षक थे ।
लेनिन एक बार अस्वस्थ हो गये । साधारण उपचार किया गया, पर बीमारी घटने के बदले बढ़ती रही । उनकी बीमारी से रशिया का प्रत्येक नागरिक चिन्तित था। बड़े-बड़े डाक्टर आए। उन्होंने रोग का निदान किया । बहुमूल्य औषधियों का नुस्खा लिखा ।
लेनिन ने नुस्खे को देखकर स्पष्ट शब्दों में इन्कारी करते हुए डाक्टरों से कहा- जो दवाइयाँ मेरे गरीब देशवासियों को प्राप्त नहीं हो सकती ऐसी बहुमूल्य औषधियाँ मैं नहीं ले सकता। भले ही मेरी मृत्यु हो जाय ! मृत्यु की मुझे किञ्चित् मात्र भी भीति नहीं है ।
लेनिन के साथियों ने, अभिभावकों ने विविध दृष्टियों
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