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फूट
जब तक वे साधु-सन्तों की रक्षा करते हैं तब तक उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
तथागत ने वर्षकार को सम्बोधित कर कहा-जब तक ये बातें लिच्छिवियों में रहेंगी, वे उनका पालन करते रहेंगे, तब तक उनका कोई भी बाल-बांका नहीं कर सकता।
वर्षकार ने कहा- भगवन् ! आपका कथन सत्य है। इन बातों में से एक भी बात. लिच्छिवियों की रक्षा करने के लिए पर्याप्त हैं । अजातशत्रु उन्हें नहीं हरा सकता।
वर्षकार तथागत का अभिवादन कर चल दिया। सभी बातें अजातशत्रु से कहीं। राजा ने कहा- हमारे पास इतने हाथी और घोड़े नहीं हैं जो हम लिच्छिवियों को रिश्वत देकर उन्हें वश में कर सकें । ऐसी स्थिति में उनमें परस्पर फूट डाल कर ही उन्हें जीत सकते हैं ।
वर्षकार- राजन् ! षड्यंत्र रचना चाहिए। आप परिषद में लिच्छिवियों के सम्बन्ध में चर्चा उठाइए । मैं उस समय लिच्छिवियों का पक्ष लेकर कहूंगा कि आपको उनसे क्या लेना देना ? वे भी तो राजा हैं। आप उन्हें खेती और व्यापार द्वारा जीविका कमाने दें। उस समय आप सभासदों से कहिए कि हम जब कभी लिच्छिवियों के सन्बन्ध में कुछ कहते हैं तो यह मंत्री विरोध करता है । इसके बाद मैं लिच्छिवियों को उपहार प्रेषित करूंगा, इस बात को लेकर आप मुझ पर राजद्रोह का आरोप
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