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फूट
गंगा के किनारे एक गाँव था । वह गाँव आधा लिच्छिवियों का था और आधा अजातशत्रु का । उस गाँव के पर्वत की तलहटी में बहुमूल्य सुगन्धित वस्तुएं पैदा होती थी । अजातशत्रु उनको लेने की सोचता पर लिच्छिवी उसके पूर्व ही वहां पहुँच जाते और वे वस्तुएँ ले लेते थे ।
प्रतिवर्ष ऐसा ही होता था । लिच्छिवियों की यह करतूत देखकर अजातशत्रु मन ही मन कुढ़ता था । वह जानता था कि लिच्छिवियों से युद्ध करना खतरे से खाली नहीं है ।
एक दिन अजातशत्रु ने अपने महामंत्री वर्षकार को बुलाकर कहा- तुम तथागत बुद्ध के पास जाओ, उनको नमस्कार कर कुशलक्षेम पूछना और कहना - भगवन् ! मगध का राजा अजातशत्रु लिच्छिवियों पर आक्रमण
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