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बोलते चित्र
भाषण नहीं करता । अनर्थ हिंसा नहीं करता। दान देने के पूर्व, दान देते समय और दान देने के पश्चात् हमारे पारिवारिक व्यक्तियों के चेहरे सदा प्रफुल्लित रहते हैं। किसी को पश्चात्ताप नहीं होता। अपनी पत्नी के अतिरिक्त सभी स्त्री जाति को माता और बहिन की दृष्टि से देखते हैं। हमारे परिवार की महिलाएँ भी धर्म परायण हैं । वे स्वप्न में भी पर पुरुष की इच्छा नहीं करती, इसलिए हमारे यहाँ कोई अकाल में और असमय में नहीं मरता । जैसे वर्षा में छाताधारी की रक्षा छाता करता है वैसे ही धर्मनिष्ठ की रक्षा धर्म करता है। वस्तुतः धर्म द्वारा रक्षित मेरा पुत्र धम्मपाल, आनन्द में है, आप ये हड्डियाँ किसी अन्य की ले आये हैं।
शिक्षाचार्य विस्मित थे। धर्म पर दृढ़ विश्वास होने के कारण ही इन्होंने अकाल मृत्यु पर विजय प्राप्त की है । शिक्षाचार्य ने धम्मपाल के पिता से क्षमा मांगते हुए कहा-धम्मपाल बड़े आनन्द में है, वह जीवित है। धम्मपाल के कहने से मेरे मन में शंका हो गई थी उसे मिटाने के लिए ही मैं आया था। आप और आपके पारिवारिक जन धन्य हैं जिनके मन में धर्म पर इतनी गहरी आस्था है।
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