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अकाल मृत्यु पर विजय
क्या तुम्हारी कुलपरम्परा में कोई मरता ही नहीं है ?
धम्मपाल - सात पीढ़ियों का इतिहास मुझे ज्ञात है, जिसमें कोई भी व्यक्ति युवावस्था में नहीं मरा है ।
साथियों ने शिक्षाचार्य के समक्ष यह चर्चा की। आचार्य ने धम्मपाल से पूछा किन्तु उसने प्रथम बात ही दोहराई । आचार्य को लगा - यह असत्य बोल रहा है उसके कथन की वास्तविकता जानने के लिए आचार्य आश्रम का भार किसी योग्य विद्यार्थी को सौंप कर धम्मपाल के पिता के पास गये । सिसकियाँ भरते हुए, आँसू पोंछते हुए उन्होंने कहा - धम्मपाल बड़ा ही मेधावी और योग्य लड़का था । किन्तु दुर्भाग्य है कि वह क्रूर काल का कवल बन गया ।
धम्मपाल के पिता ने मुस्कराते हुए कहा - आचार्य देव ! अन्य कोई व्यक्ति मरा होगा, मेरा लड़का मर ही नहीं सकता ।
आचार्य देव कुछ हड्डियाँ साथ ले गये थे । वे दिखाते हुए बोले- देखिए ये हड्डियाँ आपके सामने प्रस्तुत हैं ।
पिता - ये हड्डियाँ किसी अन्य की होंगी, मुझे विश्वास है कि मेरा लड़का मर नहीं सकता ।
आचार्य - राजन् ! आप कौन से ऐसे नियम व्रत रखते हैं, ऐसी कौन सी श्र ेष्ठ चर्या का आचरण करते हैं जिससे आपके तरुण पुत्र नहीं मरते ?
धम्मपाल के पिता ने कहा- हमारे वंशानुक्रम से सभी सदस्य मर्यादा का पालन करते हैं, कोई भी मिथ्या
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