SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंच रखें। हम एक दो दिन में आपका फैसला कर देंगे। उन्होंने गुप्त रूप से अपने ही पैसे से उसी प्रकार की एक नवीन अंगूठी बनवा ली और वे बड़े भाई के पास गये । उसके हाथ में अंगूठी चमक रही थी। उन्होंने कहादेखो ! यह अंगूठी ही तुम दोनों भाइयों के मध्य संघर्ष का कारण है । जब तुम इसे पहनते हो तब तुम्हारा छोटा भाई इसे देखकर प्राइमस की तरह भभक उठता है । मेरी प्रार्थना है कि अंगूठी भले ही तुम अपने पास रखो, किन्तु कम से कम पाँच वर्ष तक इसे मत पहनना । तुम इसे अभी अपनी तिजोरी में रख दो। लक्ष्मीनारायण की बात उसको पसन्द आयी और उसने अंगूठी उसी समय तिजोरी में रख दी। वहाँ से वे सीधे ही छोटे भाई के पास गये। अपनी जेब से अंगूठी निकाल कर देते हुए कहा-तुम जिस अंगूठी के लिए झगड़ रहे थे वह संभालो। पर शर्त यह है कि तुम इसे अभी कम से कम पाँच वर्ष तक पहनना मत, क्योंकि तुम्हारे बड़े भाई देखेंगे तो इन्हें ईर्ष्या होगी। __ छोटे भाई ने भी उनके प्रस्ताव को स्वीकर किया। दोनों भाइयों का संघर्ष समाप्त हो गया। पाँच वर्ष की अवधि समाप्त हो गई। दोनों ही भाइयों ने अंगूठी पहनी दोनों के हाथों में एक सदृश अंगूठियाँ चमकने लगीं। दोनों ही आश्चर्य चकित हो गये । अन्त में उन्हें मालूम हुआ.कि, लक्ष्मीनारायण जी ने उनके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003198
Book TitleBolte Chitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy