SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 41
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पराई वस्तु रांका और बांका-दोनों पति-पत्नी धर्म परायण थे । प्रामाणिकता और अपने पुरुषार्थ से जो भी वस्तु उपलब्ध होती उसी में वे सन्तोष करते थे। प्रातःकाल वे दोनों जंगल में जाते और जो सूखी लकड़ियाँ उपलब्ध होती उनकी भारी बाँधकर ले आते। उसे बेचकर अपनी आजीविका चलाते थे। एक दिन किसी दयालू व्यक्ति ने सोचा-ये दोनों वृद्ध हैं । इनको जंगल में इधर-उधर भटक कर लकड़ियाँ इकट्ठी करनी होती हैं। मैं लकड़ियाँ इकट्ठी कर भारी बाँध कर रख दूं तो इनको सुविधा होगी। यदि मैं उनके सामने यह कार्य करूंगा तो वे कदापि मेरी सेवा स्वीकार नहीं करेंगे। ___ उसने भारी बाँधकर तैयार रख दी और स्वयं वृक्ष की ओट में छिप गया। रांका और बांका दोनों जंगल में पहुँचे । बांका ने दो लकड़ियों की बंधी हुई भारियाँ देखीं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003198
Book TitleBolte Chitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy