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त्याग वृत्ति लिए आभारी हूं। किन्तु मैंने दृढ़ प्रतिज्ञा ग्रहण कर रखी है कि किसी की दी हुई वस्तु का मैं उपयोग नहीं करूंगा। मेरा कम्बल भले ही पुराना हो गया है, पर इसमें अभी भी अनेक कारियाँ लग सकती हैं और मेरे जीवन के अन्त तक शीतनिवारण के लिए यह उपयोग में आ सकता है। आपके दिल को दर्द न हो एतदर्थ आपकी यह प्रेम पूर्वक दी हुई भेंट मैं इस शर्त पर स्वीकार कर सकता हूँ कि कालेज के छात्रावास में जो विद्यार्थी गरीब हों उसके उपयोग में आ सकें।
मन से स्वीकार की हुई त्याग-वृत्ति को गरीबी समझने वाले श्रीमन्त का अभिमान गल गया। वह उनकी सेवा-भावना से अत्यधिक प्रभावित हुआ। उसने हंसराज जी की प्रेरणा के बिना ही कालेज के लिए लाखों रुपये दान दिये।
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