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त्याग वृत्ति
पंजाब के लाला हंसराज जी बड़े मस्त प्रकृति के व्यक्ति थे। उन्होंने एक कालेज बनाने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था।
एक धनाड्य ने सुना कि हंसराज जी कालेज के लिए काफी श्रम कर रहे हैं। उनको कुछ मदद देनी चाहिए। वे मदद देने के लिए प्रातःकाल उनके घर पर पहुँचे । सर्दी खूब तेज गिर रही थी। हंसराज जी एक फटा कम्बल ओढ़े एकाग्रचित्त से पुस्तक पढ़ रहे थे। उसने हंसराज जी के शरीर पर एक जीर्ण-शीर्ण कम्बल है। उसमें भी अनेक स्थलों पर थेगड़ियाँ लगी हैं। धनाड्य व्यक्ति को दया आ गई और वह चुपचाप उलटे पैरों लौट गया। बाजार में जाकर दो बढ़िया कम्बल खरीद कर लाया। और बोला-आपकी कम्बल फट गई है उसके बदले में ये नवीन कम्बल लीजिए।
लाला हंसराज ने कहा-मैं आपकी उदारवृत्ति के
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