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बोलते चित्र मिटाकर अपना नाम लिखा है वैसे ही दूसरा चक्रवर्ती भी किसी दिन मेरा नाम मिटाकर अपना नाम लिखेगा। जिस नाम की शोभा को बढ़ाने के लिए मैंने छह खण्ड जीते वह नाम कितना अस्थायी है। भरत की आँखों से अश्रु ढुलक पड़े। जो भी चक्रवर्ती छह खण्डों को जीत कर ऋषभकूट पर्वत पर नाम लिखने को जाता है । और दूसरे चक्रवर्ती का नाम मिटाकर अपना नाम लिखता है तब उसका अहं गल कर पानी-पानी हो जाता है ।
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