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________________ १२३ गुनाह उन्होंने एक क्षण सोच कर कहा- तो गाड़ी पुलिस थाने पर ले चलो । न्यायाधीश के आदेशनुसार कार पुलिस थाने पर ले जाई गई । न्यायाधीश ने पुलिस अधिकारी के हाथ में पाँच डालर देते हुए कहा- मुझे मालूम नहीं था, मेरे ड्राइवर ने कानून भंग किया है । यह मेरा व्यक्ति है, अतः दण्ड रूप में मैं पाँच डालर दे रहा हूँ । न्यायाधीश की न्यायनिष्ठा देखकर पुलिस का अधिकारी चकित हो गया । उसने कहा- आप की बात सत्य है, पर पुलिस ने आपको गुनेहगार नहीं ठहराया है । फिर आप स्वयं दण्ड भरने का आग्रह क्यों कर रहे हैं। न्यायाधीश ने कहा - भले ही सरकारी पुलिस ने मुझे नहीं पकड़ा है किन्तु अन्दर की पुलिस, जो अन्तरात्मा है, उसने तो मुझे पकड़ा ही है । जो बाहर देखा जाय वही गुनाह है यह परिभाषा मुझे स्वीकार नहीं है । पुलिस अधिकारी का मस्तिष्क न्यायाधीश की बात को सुनकर श्रद्धा से झुक गया । Jain Education International For Private & Personal Use Only ¤ www.jainelibrary.org
SR No.003198
Book TitleBolte Chitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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