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:४८: संगति का असर
प्रातःकाल का सुहावना समय था। एक राजा घोड़े पर बैठकर प्राकृतिक सौन्दर्य-सुषमा को देखने के लिए जंगल में अकेला जा रहा था। भीलों की झोंपड़ियों के पास से ज्यों ही वह निकला त्यों ही वृक्ष की टहनी पर बैठा हुआ एक तोता पुकार उठा-दोड़ो ! शीघ्रता करो, इसे पकड़ लो, मार डालो, इसका घोड़ा छोन लो, इसके आभूषण उतार लो। __राजा ने ये शब्द सुने, वह समझ गया कि यह डाकुओं की बस्ती है। राजा ने घोड़े को पूरे वेग से दौड़ा दिया। डाकू राजा के पीछे दौड़े किन्तु राजा को पकड़ नही सके। वे निराश होकर लौट गये। __ राजा काफी दूर पहुँच गया था। एक ऋषियों का आश्रम आया। एक तोता वृक्ष पर बैठा हुआ आवाज
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