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लगा रहा था-पधारिये राजन् ! आपका स्वागत है, सुस्वागत है, ऋषिप्रवर ! जल्दी पधारिये । हमारे अतिथि आये हैं । इनका स्वागत कीजिये।
ऋषि कुटिया से बाहर आये। उन्होंने राजा का स्वागत किया। राजा ने विश्राम लेने पश्चात् ऋषि से पूछा-भगवन् ! एक ही जाति के पक्षियों के स्वभाव में इतना अन्तर क्यों है ? ___ ऋषि उत्तर दें उसके पूर्व ही तोते ने कहाराजन् ! हमारे दोनों के माता-पिता एक ही हैं। उसे डाकुओं को संगति मिली और मुझे साधुओं की संगति मिली। उसी संगति के कारण हम दोनों भाइयों के स्वभाव में यह अन्तर है।
संगति का असर
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