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: ४१ : निष्काम भक्ति
बात बगदाद की है । फकीर जुनैदा एक बार कहीं जा रहे थे । उन्हें मार्ग में एक नाई मिला जो लोगों की हजामत कर रहा था। काफी लोग बैठे हुए थे और वह क्रमशः हजामत कर रहा था । जुनैदा ने कहाखुद की खातिर तुम मेरी हजामत बना दो तो बहुत अच्छा होगा ।
नाई ने अन्य ग्राहकों को छोड़कर सबसे पहले फकीर जुनैदा की हजामत बनाई ।
कुछ दिनों के पश्चात् जुनैदा उसका पारिश्रमिक लेकर उसके पास गये और नाई के हाथ में पैसे थमा दिये। फकीर ने उसे उस दिन की बात स्मरण दिलवाई | नाई ने पैसे वापिस लौटाते हुए कहा- आपको शर्म नहीं आती । उस दिन आपने मुझे खुदा की खातिर हजामत करने के लिए कहा था और आज पैसे दे रहे हैं। मैंने खुदा की खातिर हजामत बनाई थी, पैसे की खातिर नहीं ।
नाई की इस बात से जुनैदा अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने इस छोटी-सी घटना से सीख ली कि निष्काम भक्ति इस प्रकार करनी चाहिए ।
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बोलती तसवीरें
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