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मुक्ति का मार्ग
मिश्र के महान् सन्त मैकेरियस सन्ध्या के सुहावने मौसम में घूम रहे थे। एक शिष्य उनके पास आया। उसने उनसे जिज्ञासा प्रस्तुत की कि भगवन् ! मुक्ति का मार्ग बताइये।
मैकेरियस ने कहा-वत्स ! कब्रिस्तान में जाओ। वहाँ पर जो व्यक्ति कत्रों में सोये हुए हैं उन्हें दिल खोलकर गालियाँ दो, उन पर ढेले और पत्थरों को वर्षा करो।
शिष्य ने सुना । वह हैरान हो गया। किन्तु गुरु की आज्ञा का पालन करने हेतु वह कब्रिस्तान में गया और दिल खोलकर गालियाँ दी, पत्थर फेंके। जब वह थक गया तो लौटकर सन्त मैकेरियस के पास पहुँचा।
मैकेरियस ने पूनः आदेश दिया--अब जाओ और सुगंधित फूल व मधुर व फल उन कब्रों पर चढ़ाओ
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