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टकराने से जख्म हो चुके थे जिनमें से खून और मवाद बहता था। नेताजी वैसी ही विषम स्थिति में लड़खड़ाते हुए कदमों से सबका नेतृत्व कर रहे थे।
एक जापानी सेना के अधिनायक ने नेताजी से अत्यन्त विनम्र शब्दों में निवेदन किया कि आप कितना भयंकर कष्ट उठा रहे हैं । कृपा कर आप हमारे साथ गाड़ी में बैठ जायें।
नेताजो ने कहा-मैं स्वयं गाड़ी में चल और मेरे स्नेही-साथो पैदल चलें, यह बिल्कुल अनुचित है। मैं अपने पुत्र-पुत्रियों को छोड़कर जोप में नहीं बैठ सकता।
जापानी अफसर का सिर नेताजी के अपूर्व त्याग को देखकर उनके चरणों में झुक गया। वस्तुतः ऐसे नेता हो देश का कल्याण कर सकते हैं।
बोलती तसवीरें
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