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जिस दिन परीक्षाफल प्रकाशित हुआ उसी दिन उस अध्यापक को चपरासी ने आकर सूचना दी कि प्रधानाध्यापक आपको बुला रहे हैं। वह प्रधानाध्यापक के कक्ष में पहुँचा। अभिवादन कर एक ओर बैठ गया। प्रधानाध्यापक ने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा-मुझे हादिक गौरव की अनुभूति हुई कि आपने एक आदर्श अध्यापक कार्य किया। मेरे पुत्र को दंडित करने में भी संकोच नहीं किया और साथ ही नकल करने के पश्चात् भी आपने उसे उत्तीर्ण नहीं किया। यदि उत्तीर्ण करते तो मैं आपको सेवा से निवृत्त कर देता।
नवनियुक्त अध्यापक ने नम्रता के साथ निवेदन किया----यदि आपश्री मुझे अपने पुत्र को उत्तीर्ण करने के लिए बाध्य करते तो मैं इसी समय त्याग-पत्र दे देता। यह देखिये—मैं त्यागपत्र लिखकर ही लाया हूँ।
अध्यापक की आदर्श बात से प्रधानाध्यापक का हृदय आनन्द से झम उठा। उसे अपनी छाती से लगाते हुए कहा-अध्यापक को ऐसा ही आदर्श उपस्थित करना चाहिए, तभी छात्रों के जीवन का निर्माण हो सकता है।
बोलती तसवीरें
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