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: ३४ : अध्यापक का आदर्श
- स्कूल में परीक्षा चल रही थी। स्कूल में एक नवीन अध्यापक की नियुक्ति हुई थी। वह परीक्षाभवन में चंक्रमण कर रहा था। उसने देखा एक विद्यार्थी नकल कर रहा है। उसने नकल करने के अपराध में विद्यार्थी को परीक्षा-भवन से निकाल दिया।
वह विद्यार्थी उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक का पुत्र था। जब परीक्षा परिणाम जाहिर हुआ उस समय वह विद्यार्थी अनुत्तीर्ण घोषित किया गया। सभी अध्यापकों के अन्तर्मानस में ये विचार-लहरियाँ तरंगित होने लगी कि इस अध्यापक ने प्रधानाध्यापक के पुत्र को परीक्षा-भवन से निकालकर महान् अपराध किया है जिससे प्रधानाध्यापक इस पर अप्रसन्न होंगे और इसे नौकरी से मुक्ति मिल जायगी।
अध्यापक का आदर्श
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