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:३२: व्यंग्य
एक प्राध्यापक आचार्य विनोबा के पास पहुँचे। उन्होंने वार्तालाप में अपनी प्रशंसा करते हुए कहाआज दिन तक एक हजार से भी अधिक विद्यार्थी मेरे हाथ के नीचे से निकल चुके हैं।
विनोबाजी ने चुटकी लेते हुए कहा---एक हजार से भी ज्यादा विद्यार्थी निकल गये । किन्तु तुम्हारे हाथ एक भी आया या नहीं ?
प्राध्यापक महोदय का गर्व चूर-चूर हो गया।
व्यंग्य
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