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: ३१ : वासना-विजय
एक वेश्या के भव्य भवन के सन्निकट होकर बौद्धभिक्षु जा रहा था । वेश्या ने बौद्धभिक्षु के सुगठित सुन्दर शरीर को देखा। वह उस पर मुग्ध हो गई । उसने भिक्षु का अभिवादन किया और प्रार्थना की कि इस वर्ष इसी भव्य भवन में वर्षावास करें ।
भिक्षु ने कहा- बहन ! मैं आऊँगा, किन्तु तथागत बुद्ध की आज्ञा लेनी होगी । उनकी जैसी भी आज्ञा होगी वह तुझे कल सूचित करूँगा । वेश्या ने कहायदि आज्ञा प्राप्त न होगी तो क्या करोगे ?
भिक्षु ने दृढ़ विश्वास के साथ कहा- मुझे पूर्ण विश्वास है, बुद्ध अवश्य ही आज्ञा प्रदान करेंगे ।
दूसरे दिन भरी सभा चल रही थी । हजारों की को जन-मेदिनी बैठी हुई थी । भिक्षु ने तथागत से वेश्या का आमन्त्रण निवेदन किया और वहाँ वर्षावास करने के लिए अनुमति माँगी ।
वासना-विजय
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