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सजा
गांधीजी ने आश्रम में यह व्यवस्था की थी कि भोजन का समय होते ही दो बार घण्टी बजायी जाय । दो बार घण्टी बजाने पर भी जो व्यक्ति भोजनालय में नहीं पहुँच पाता, उसे दूसरी पंक्ति में भोजन करना होता । तब तक उसे प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। दूसरी घण्टी बजते ही भोजनालय का द्वार बन्द कर दिया जाता था जिससे बाद में आने वाले व्यक्ति अन्दर न आने पावें।
कार्याधिक्य के कारण एक दिन स्वयं गांधीजी को विलम्ब हो गया। वे जब तक पहुँचे तब तक दूसरी घण्टी बज चुकी थी और भोजनालय का द्वार बन्द हो चुका था। गांधीजी बरामदे में खड़े थे। गांधीजी के बाद हरिभाऊ उपाध्याय पहुँचे। उन्होंने बरामदे में
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