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: २४ : आत्मविश्वास
कलकत्ता के प्रेसिडेण्ट कालेज में उन्हीं विद्यार्थियों को स्थान प्राप्त होता था जो पूर्व परीक्षाओं में अच्छे नम्बरों से समुत्तीर्ण होते थे। सन् १६०६ में प्रस्तुत कालेज के प्रधानाध्यापक थे एक अंग्रेज सज्जन जो स्वभाव से बहुत ही तेज-तर्रार थे। उन्होंने परीक्षा का परिणाम सुनाया । एक विद्यार्थी एकान्त शान्त स्थान में बैठा हुआ ध्यान से परीक्षा परिणाम सुन रहा था। परीक्षा परिणाम सुनने के पश्चात् उस छात्र ने प्रधानाध्यापक से पूछा-आपने मेरा नाम क्यों नहीं लिया? प्रधानाध्यापक ने उसे घूरते हुए कहा-तुम्हारा नाम लिस्ट में नहीं है । तुम अनुत्तीर्ण हो चुके हो।
विद्यार्थी ने स्वाभिमान के साथ कहा-यह कभी सम्भव नहीं है। मैं निश्चय ही प्रथम श्रेणी में समुत्तीर्ण हुआ हूँ। सम्भव है भूल से आपने मेरा नाम नहीं लिया है।
आत्मविश्वास
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