________________
: १५: उखाड़ना और लगाना
पंजाब में बुल्लेशाह नाम के एक बहुत बड़े अनुभवी सन्त थे। उनके गुरु एक माली थे। एक दिन वे घूमते हुए गुरु के सेट में पहुँच गये। उन्होंने गुरु से पूछा कि ऐसा कोई सरल उपाय बताइये जिससे खुदा प्राप्त हो सके। उस समय उनके गुरु खेत में प्याज की गाँठे एक स्थान से उखाड़कर दूसरे स्थान पर लगा रहे थे। उन्होंने कहा-वत्स ! खुदा का क्या पाना ? इधर से उखाड़ना और उधर लगाना। तू समझता है कि खुदा आसमान में है। आसमान से खुदा को उखाड़ कर हृदय में लगा लो और फिर स्नेह के जल से सिंचन करो। खुदी को मिटाना ही खुदा को पाना है।
हम हैं खुद खुदा, न वह हमसे है जुदा । जो जाने है जुदा, वह न पावे खुदा ।।
उखाड़ना और लगाना
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org