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________________ यह दुष्कृत्य करना पड़ा। आप मुझे क्षमा कीजिये । भविष्य में मैं ऐसा कार्य कभी नहीं करूँगा । भट जी ने आदेश देते हुए कहा - इस अनाज को पुनः बोरियों में भर दो और मेरे साथ घर चलो । उन्होंने घर जाकर पूरे परिवार को खाने के लिए आटा-दाल, धी- तेल दे दिया । उन्होंने अनाज के एक बड़े व्यापारी को पत्र लिखा कि इस व्यक्ति को एक मन अनाज दे दो और उसके पैसे मेरे नाम में लिख दो । कुछ दिनों के पश्चात् भटजी उस व्यापारी को पैसा देने के लिए पहुँचे । व्यापारी ने कहा- बाबूजी ! आप मेरे माल की अत्यधिक रक्षा करते हैं । आपके आने के पूर्व मेरे माल में से प्रति महीने आठ-दस बोरियाँ का माल चला जाता था । पर आपके आने के पश्चात् थोड़ा भी अनाज कम नहीं हुआ है । इसलिये मैं इस अनाज का पैसा नहीं लूँगा । प्रति महीने एक मन अनाज आपको पहुँचा दूँगा । भटजी ने साग्रह कहा- आपको अनाज के पैसे लेने हैं। इस प्रकार यदि मैं लूँगा तो यह प्रकार से रिश्वत ही है । मैं रिश्वत नहीं ले सकता । प्लेटफार्म पर रखे हुए माल की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है । मैंने अपने कर्तव्य का पालन किया है, किसी पर उपकार नहीं । O २८ बोलती तसवीरें Jain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003197
Book TitleBolti Tasvire
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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