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: १३: कर्तव्य
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सन् १६१८ की घटना है। सौराष्ट्र के चलाला नामक रेल्वे-स्टेशन पर भावनगर निवासी जीवन राम ईश्वरलाल भट स्टेशन मास्टर थे । वे रात्रि को प्लेटफार्म पर घूम रहे थे। उन्होंने देखा-प्लेटफार्म पर अनाज की बोरियाँ रखी हुई हैं। एक पाइंट्समैन बोरियों के पीछे छिपकर अनाज निकाल रहा है। वे छिपकर देखते रहे । जब वह अनाज निकाल चुका और बोरियों को पुनः सीने लगा तब उन्होंने बहुत ही धीमे स्वर से कहा-बोरियाँ अच्छो तरह से सीना। यह सुनते ही पाइंटसमैन थर-थर काँपने लगा। वह उनके चरणों पर गिर पड़ा। अपने अपराध की क्षमायाचना करते हुए बोला-बड़ा परिवार होने से वेतन के पैसों से गुजारा नहीं होता, आज प्रातःकाल से ही सारा परिवार भूखा-प्यासा पड़ा है। अतः पेट के लिए मुझे
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