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बन्दर ने शान्ति के साथ कहा-व्याघ्र भैया ! मैंने देख लिया है आज मानव के व्यवहार को। इतना अधम कार्य मानव कर सकता है पर एक पशु नहीं कर सकता। मैं कल ही पशु-पक्षियों की गोष्ठी बुलाऊँगा और कौए को शतशत धन्यवाद दूंगा।
स्वार्थ के कारण मानव अधम से अधम कार्य भी करने में पीछे नहीं रहता। वह स्वार्थ में परमार्थ को भूल जाता है।
-महाकवि कम्बनकृत तमिल रामायण
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बोलती तसवीरें
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