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: १२: जब तक जीवन, तब तक अध्ययन
स्वामी रामतीर्थ भारत से जापान जा रहे थे। जहाज में जापान के एक वृद्ध व्यक्ति बैठे हुए थे जिनकी अवस्था नब्बे वर्ष को थी। उनका शरीर वृद्धावस्था से काँपता था, नेत्रों की ज्यीति भी अत्यन्त मन्द हो चुकी थी तथापि वे एकान्त में बैठकर चीनी भाषा का अभ्यास कर रहे थे। स्वामी रामतीर्थ ने उन्हें अध्ययन करते हुए देखा। उन्हें महान् आश्चर्य हुआ कि चोनी भाषा बहुत कठिन है, इन वृद्ध महोदय को इसके अध्ययन करने में कितना समय लगेगा। उन्होंने मुस्कराते हुए वृद्ध महोदय से पूछा-आप बहुत ही वृद्ध हो चुके हैं। इस भाषा को सीखने में काफी समय लगेगा। फिर आप इस भाषा का कब उपयोग करेंगे ?
वृद्ध ने कहा--जब तक जीवित है तब तक अध्ययन करना मेरा कार्य है। यदि रात-दिन मौत का ही
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