________________
प्राणी है वह मर भी गया तो पीछे उसका कोई परिवार नहीं है जो रोने वाला हो । मैं इसी वृक्ष के नीचे बँठा रहूँगा और आज नहीं तो कल तुझे खा हो जाऊँगा । तू कब तक यहाँ पर बैठा रहेगा ? देख तेरे पीछे दुकान की क्या हालत होगी, परिवार की क्या हालत होगी ? उसका भी स्मरण कर ।
स्वार्थ भरो बातों ने मानव के मन को पलट दिया । उसे व्याघ्र की बातों में तथ्य मालूम हुआ । उसने उसी क्षण अपने पास सोये हुए बन्दर को नीचे धकेल दिया । व्याघ्र पहले से ही तैयार बैठा था । बन्दर ज्यों ही नीचे गिरा त्यों ही उसकी नींद खुल गई । गिरते-गिरते भी उसने वृक्ष की दूसरी डाली पकड़ी और ऊपर
चढ़ गया ।
व्याघ्र हताश और निराश हो गया । उसने देखा, अव मानव की ताकत नहीं जो बन्दर को नीचे धकेल सके, अब यदि बन्दर चाहे तो मनुष्य को अवश्य ही नीचे धकेल सकता है । अतः उसने बन्दर से कहादेख बन्दर ! मानव ने तेरे साथ कैसा दुर्व्यवहार किया ! अतः तू अपना प्रतिशोध लेने के लिए मानव को वृक्ष के नीचे धकेल दे ।
स्वार्थ के लिए
२३
Jain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org