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: १०: अपराध की क्षमा
सामन्त लोगों ने महात्मा कबीर की कीर्ति सुनी। वे सभी मिलकर उनके दर्शन के लिए प्रस्थित हुए। सामने से उन्हें एक नंगे सिर वाला व्यक्ति आता हुआ दिखाई दिया जो तालाब पर नहाने जा रहा था। सभी सामन्तों ने सोचा-इस नंगे सिर वाले ने हमारा शकुन ही बिगाड़ दिया है। पता नहीं कबीरजी के दर्शन होंगे या नहीं।
सभी व्यक्तियों ने पत्थरों की बौछार प्रारम्भ कर दी। उस व्यक्ति को लहू-लुहान करके आगे बढ़े। सभी सामन्त कबीर के घर पहुँचे। कबीर की पत्नी ने सभी का स्वागत किया। आसन बिछाकर सभी को बिठाया और बताया कि वे नहाने गये हैं, अभी आते ही होंगे।
अपराध की क्षमा
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