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कुछ समय पश्चात् कबीर स्नान करके आये । ज्यों ही कबीर को आया हुआ देखा त्यों ही उन सामन्तों के पैर के नीचे की जमीन ही खिसक गई । अरे, हमने महान् अपराध कर दिया। कबीरजी पर ही हमने पत्थर बरसाये । हमें क्या पता था कि नंगे सिर वाला वह व्यक्ति ही कबीरदास हैं ।
मारे लज्जा के सभी की आँखें जमीन की ओर गढ गई। किसी का भी साहस नहीं हुआ कि वह कबीर से कुछ कह सके ।
कबीर ने ही मुस्कराते हुए बात शुरू कीवस्तुतः मैंने आपका अपशकुन कर दिया था जिसके फलस्वरूप आपको कितनी प्रतीक्षा करनी पडी । यदि मैं अपशकुन नहीं करता तो इतनी प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती ।
सभी सामन्त कबीर के चरणों में गिर पड़े। अपने अपराध की क्षमा याचना करने लगे-- भगवन् ! जैसा हमने आपके सम्बन्ध में सुना था उससे भी अधिक आपको पाया ।
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बोलती तसवीरें
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