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फूल और पराग
मत मारो। इसे मुक्त कर दो। इसने अपने पाप का फल बहुत पा लिया है ।"
लोगों ने देखा - वास्तव में जो सत्यवादी है, उसका हृदय करुणा पूरित है, जबकि सत्य का नाटक खेलने वाला कितना निर्दय एवं लोभी है ।"
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