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________________ रानो का न्याय ७५ के सिपाही आये, और उसके हाथों में हथकड़ियाँ और पैरों में बेड़ियाँ डालकर राजसभा में ले गये। राजा ने लाल नेत्र करते हुए कहा-"असत्यघोष ! तेरा अपराध महान् है, मालूम नहीं, तेने सत्य का नाटक करते हुए कितने ही व्यक्तियों को परेशान किया होगा ? तू ब्राह्मण है, इसलिए मैं तुझे फांसी की सजा नहीं देता। मैं तेरे सामने तीन सजाएं रखता हूँ, तीन में से जो तुझे पसन्द हो वह ले सकता है।" पहली सजा है-"जितना भी तेरे घर में धन है वह दे दो।" दूसरी सजा है-"हमारे पहलवान की तीन मुष्टि खालो।" तीसरी सजा है-"तीन थाल भर क र गाय का गोबर खालो।" सत्यघोष तो लोभी प्राणी था उसने प्रथम तोसरी सजा मंजूर की। गाय का गोबर मंगाया गया, उसने बड़ी मुश्किल से एक थाल गोबर खाया । दूसरा थाल सामने आया, पर देखते ही वमन होने लगा। राजा ने कहा-"घबराने की आवश्यकता नहीं है, अब तुम चाहो तो तीन पांती का धन दे दो। धन तो नहीं दे सकता, दो मुट्ठी मार खा सकते हो । पहलवान ने सिर पर ज्यों ही मुष्टि का प्रहार किया, वह बेहोश होकर गिर पड़ा। सुमित्र ने कहा-“राजन् । मेरी नम्र प्रार्थना है इसे Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003196
Book TitleFool aur Parag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1970
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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