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घेवर
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बहाने खाली डिब्बा लेकर आना, मैं उसमें घेवर रख दूंगा और तू वह डिब्बा घर ले आना। मध्याह्न में लड़का हलवाई के पास गया। हलवाई ने इधर-उधर देखकर चार घेवर उस डिब्बे में डाल दिए, और लड़के को कहा- "मैं अभी भोजन नहीं करता यह डिब्बा ले जा।" - लड़का घेवर लेकर घर पर पहंचा। घेवर की मीठी
महक से उसके मुंह में पानी आगया। उसने सोचा''हम घर के चार सदस्य हैं और ये घेवर भी चार हैं। इन घेवरों को ठंडा करने से फायदा भी क्या है. क्यों नहीं अभी ही इन्हें खा लिया जाय ।" एक घेवर लड़के ने खाया, एक घेवर उसकी पत्नी ने और एक घेवर लड़के की माता ने खाया। चौथा घेवर हलवाई के लिए रख दिया। उसी समय हलवाई का जमाई जो वहां से बीस मील पर रहता था वह किसी आवश्यक कार्यवश वहां आया, उसने सोचा जब गाँव में आया हूँ तो ससुराल में भी मिलता जाऊं। वह ससुराल पहुँचा। सासु ने सोचा-आज जमाई बहुत दिनों से आये हैं क्यों न भोजन में इन्हें घेवर परुस दिया जाय । बढ़िया घेवर देखकर जमाई के भी मुंह में पानी आ गया और वह घेवर खाकर वहां से चल दिया।
हलवाई दिन भर घेवर बनाता रहा । सायंकाल कार्य पूर्ण हुआ । मन में विचार आया कि अब घर जाकर मैं भी घेवर खाऊंगा। वह घर पहुंचा। थाली में रोटी
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