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खून का असर है तो उसने स्पष्ट शब्दों में संकाच टाल कर कह दिया कि आप यदि मेरे पर अधिक दबाव डालेंगी तो में कूए में गिरकर अपने प्राण त्याग दूगी।
सासू ने जब छोटी बहू के मुह से यह बात सुनी तो उसके पैर के नीचे की जमीन ही खिसक गई। उसके मुह से एक शब्द भो न निकला। वह तो उलटे पैरों लौट कर सेठ के पास आयी । सेठ तो सेठाणी की मुहरमी सूरत देखकर ही समझ गया कि क्या माजरा है। सेठ ने सेठाणी को आश्वासन देते हुए कहा-“सेठाणो, घबराओ मत । मैंने तो पहले ही कहा था, पर तुमने मेरी बात न मानी। माता-पिता के खून का असर सन्तानों पर कितना गहरा होता है । पैतृक संस्कार कभी भी मिटाने से नहीं मिटते । एतदर्थ ही उस दिन मैंने खानदान की बात कही थी।" सेठ ने सारे गहने लौटाते हुए कहा- "व्यापार में कोई घाटा नहीं गया है, यह सारी बनावटी बात मैंने छोटी बहू की परीक्षा लेने के लिए कहीं।"
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