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फूल और पराग घाटा लाखों का है, यदि बहओं से भी जेवर प्राप्त करो तो संभव है कुछ कार्य हो जाये।
सेठाणी ने बड़ी बहूरानी से कहा- "दुकान की स्थिति इस प्रकार हो गई है क्या तुम अपने जेवर दे सकती हो?"
बड़ी बहू ने सेठाणी के चरणों में गिरकर कहा"आप क्या बात करती हैं। जेवरों के मालिक तो आप ही हैं,मैं कहां? आप प्रसन्नता से जेवरों को ले जाइए।"उसने उसी समय जितने भो जेवर थे वे सभी सासू के चरणों में रख दिये। आप बिना संकोच के इसका उपयोग करें। घर की इज्जत मेरी इज्जत है, यदि घर को इज्जत जाती हो और गहने तिजोरी में पड़े रहें तो वे किस काम
सेठाणी ने बड़ी बह के सभी जेवर सेठ को देते हुए बड़ी बहू की बात विस्तार से सुना दी। सेठ ने कहा"इतने से जेवर से कार्य नहीं होगा। सेठाणी उसो समय मझली पूत्र वधुओं के पास गई, उन्होंने भो सेठाणी की बात सुनते ही सभी जेवर उसी क्षण लाकर दे दिये।
सेठ ने कहा-'सेठाणी, तुमने मेरी सारी चिन्ता दूर कर दी है, पर थोड़ा सा जेवर और भी मिल जाता, तो सारी समस्या ही हल हो जाती।
सेठाणी छोटी बह के पास गई । उसका उस पर बहुत ही अनुराग था। उसने सारी स्थिति बताकर जेवर माँगा।
छोटी बहू रश्मी ने प्रथम तो बात टालने का प्रयास किया । किन्तु जब देखा कि बात टाली नहीं जा सकती
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