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________________ क्या मेरा संवत चलेगा ? ५७ विशेषता है कि जैसा भो तुम मन पसन्द भोजन चाहो, . इसमें से प्राप्त कर सकते हो ।" दूसरी यह पेटी है - इसमें यह विशेषता है कि तुम जिस प्रकार के व जितनी संख्या में वस्त्र आभूषण चाहो वह इसको खोलने पर मिल जायेंगे । तीसरी यह थैली है, इसमें से जितनी भी अशर्फियां व रुपए चाहिए प्राप्त किये जा सकते हैं । चौथा यह घोड़ा है, इस पर बैठकर जितने समय में जहां भी जाना चाहो जा सकते हो । किसी से भी रास्ता पूछने की आवश्यकता नहीं। यह पोडा अपने आप लक्ष्य स्थल पर पहुँच जायेगा । इन चारों अपूर्व वस्तुओं में से तुम्हें जो भी वस्तु च. हिए वह एक वस्तु मांगलो । । I वृद्ध ने कहा--"जरा मैं अपने स्वजनों को पूछकर आता कि इन चार में से मुझे क्या लेना है । मेरी झोंपड़ी पास ही की टेकरी पर है । जब तक मैं पुनः न आऊं वहाँ तक तुम खड़े रहना । वृद्ध चला गया, विक्रमादित्य वहीं खड़े रहे । आठ दस घण्टे के पश्चात वृद्ध लौटा । विक्रमादित्य - भाई ! तुमने बहुत ही समय लगा दिया, खड़े-खड़े तुम्हारी कितने समय से प्रतीक्षा करता रहा, बताओ इन चारों वस्तुओं में से तुम्हें एक कौन सी वस्तु चाहिए। वृद्ध-- "मुझे कुछ भी नहीं चाहिए ।" Jain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003196
Book TitleFool aur Parag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1970
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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