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क्या मेरा संवत् चलेगा? चैत्र शुक्ला प्रतिपदा के दिन, दिल्ली में अपूर्व चहलपहल थी। जन-जन के मन में आनन्द की उमियां उठ रही थीं। क्या बालक, क्या युवक और क्या वृद्ध सभी के चेहरे प्रसन्नता से खिले हुए थे। सैकड़ों व्यक्ति अभिनव वस्त्रों को धारण कर इधर से उधर जा रहे थे। स्थान स्थान पर उत्सव भी मनाया जा रहा था। कहीं गायन मण्डली गा रही थी, कहीं नृत्य मण्डलो नाच रही थी : बादशाह अकबर ने राजमहल में बैठे बैठे यह सारा दृश्य देखा। उन्होंने बीरबल से पूछा-बोरबल ! आज कौन सा पर्व है ? किस कारण यह उत्सव मनाया जा रहा है ?" __ वीरबल ने कहा-''जहांपनाह ! आज से हिन्दुओं में नूतन वर्ष का प्रारम्भ है। आज से नया विक्रम सम्वत लगेगा।
बादशाह ने कहा-"वीरबल ! मेरी भी इच्छा है कि मेर। भी संवत् चले । मेरा नाम भी संसार में अमर हो जाए । बतलाओ ! उसके लिए मुझे क्या करना होगा।
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